COLLEGE में बढ़ती थी
यारी,
बदलही जाती LIFE हमारी।
साथ रहते रहते दोस्तोके,
अलग ही चलती
दुनिया सारी।
होती थी नई
दोस्ती जहाँ,
और मिलते नए
CRUSH।
RECESS
में ही तो
हमारे,
बातों का होता
RUSH।
याद अभीभी आता
है वो,
माँ का दिया
हुआ TIFFIN।
बात बातपर चिढ़ाना
दोस्तो का,
और भूख लगने
पर CANTEEN।
खेलकुदमेही डूबें
रहते,
मस्तीमें चलते
हम।
संग दोस्तों
के
रहके,
भूल जाते बाकि
सारे गम।
मिलकर सुलझाते कई
उलझने ,
तब आई समझमे CARING।
मिलकर करते शैतानीया भी ,
सिखी वहिसे SHARING।
कही बातें होती
प्यारभरी,
तो कही दुश्मनी जारी।
नहीं रही वो
बातें अब तो,
ना ही रही
वो यारी।
कुछ तो लगता
है अधूरा,
अब तो यारो
के बिन।
भूल ना पाएंगे दोस्तो,
COLLEGE के वो सुहाने दिन।
COLLEGE के वो सुहाने दिन।
-वेदांती
College के दिन |
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